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വര്ഗ്ഗീയത വോട്ടാകുമോ ? | News Hour 27 FEB 2021
4 Hours ago
भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से मुलाकात कर नए सियासी समीकरण साधे हैं। एक तरफ उन्होंने भाजपा के अंदर अपना विरोध करने वालों को संदेश देने की कोशिश की है कि अब वह पार्टी की रीति-नीति में ढल गए हैं। दूसरी तरफ विधानसभा की 25 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए एक मजबूत रणनीतिक बिसात बिछाई है।
मंगलवार को एक दिवसीय दौरे पर भोपाल आए सिंधिया एयरपोर्ट से उतरते ही सीधे उमा भारती से मिलने उनके आवास पर गए और उमा ने भी जिस गर्मजोशी से मंत्रोच्चार के बीच सिंधिया का तिलक लगाकर स्वागत किया, उससे यह साफ हो गया है कि रिश्तों की यह मजबूती मध्य प्रदेश की सियासत को नया रास्ता दिखाएगी। कमल नाथ की कांग्रेसी सरकार अपदस्थ कर भाजपा शीर्ष नेतृत्व का दिल जीतने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अब मध्य प्रदेश की सियासत में सर्वमान्य बनने की मुहिम में जुटे हैं।
जिस तरह संगठन और आरएसएस की अपेक्षा के मुताबिक उन्होंने गत दिनों अपने धुर विरोधी और गुना में खुद को चुनाव हराने वाले सांसद केपी यादव से आगे बढ़कर मुलाकात की और गिले-शिकवे दूर किए, उससे यह बात साफ हो गई कि वह पार्टी लाइन के भीतर रहकर ही अपना सियासी कद बढ़ाएंगे। उमा भारती से सिंधिया परिवार के पहले भी मजबूत रिश्ते रहे हैं। उमा की भाजपा में सक्रियता राजमाता विजयाराजे सिंधिया की वजह से ही बढ़ी।
संत समाज की होने से उमा का तो चौतरफा प्रभाव है, लेकिन वह अपनी लोधी बिरादरी में आज भी सर्वमान्य नेता हैं। बीते दिनों उन्होंने कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलवाकर भाजपा में शामिल कराया तो कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। सिंधिया पहले ही कांग्रेस को झटका दे चुके हैं, इसलिए अब दोनों की मुहिम एक राह पर आ गई है।
राजस्थान में चल रही राजनीतिक उठापटक को लेकर उमा ने कांग्रेस पर खूब हमले भी किए और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोपों की बौछार करते हुए उन्होंने दो टूक कह दिया कि वह युवा नेतृत्व उभरने के डर से ज्यातिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे लोकप्रिय नेताओं से जलते हैं। उमा का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है और देश की राजनीति में सिंधिया का कद बढ़ाने की एक अहम कड़ी भी माना जा रहा है। उमा ने संकेतों में स्पष्ट कर दिया कि ऑपरेशन राजस्थान का रिमोट सिंधिया के ही हाथ में है।
सिंधिया की साख का पैमाना होगा उप चुनाव
विधानसभा की 25 सीटों पर होने वाले उपचुनाव जहां शिवराज सरकार के स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं सिंधिया की साख का भी पैमाना होगा। सिंधिया यह बात बखूबी जानते हैं कि बुंदेलखंड की सियासत में सर्वाधिक दखल रखने वाली उमा भारती की सक्रियता और सहयोग मतदाताओं को रिझाने में मददगार साबित होगी। इसीलिए वह भविष्य की रणनीति को ध्यान में रखते हुए रिश्तों की गांठ मजबूती से बांधने में जुट गए हैं।
चूंकि सिंधिया समर्थक मंत्रियों और पूर्व विधायकों से विधानसभा का चुनाव हार चुके भाजपा के पूर्व उम्मीदवार इन दिनों अपने भविष्य के लिए मोर्चा खोले हुए हैं इसलिए भी बड़े नेताओं का साथ लेकर सिंधिया उन्हें अपनी मजबूती का अहसास कराने में जुट गए हैं। सिंधिया ने पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी को भी प्रेरणादायक नेता बताया और वह उनकी प्रतिमा का अनावरण करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ हाटपिपल्या भी गए।
अब चुप नहीं बैठूंगा
90 दिन के कोरोना संक्रमण काल में चुप था। इस कारण कमल नाथ व दिग्विजय सिंह यहां अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे और उल्टे-सीधे आरोप लगाते रहे। अब मैं चुप नहीं बैठूंगा और एक-एक बात का जवाब दूंगा।
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(PROMPT TIMES)