केन्द्रीय विज्ञान और प्रौदयोगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि उद्योग जगत से यह अपेक्षा की जायेगी कि वे सभी भावी स्टार्टअप उपक्रमों और अन्य नये प्रौद्योगिकी प्रयासों में संसाधन उपलब्ध कराने में मुख्य सहायक बने। उन्होंने कहा कि शुरुआत से ही सभी संबंधित पक्षों में समानता की जरूरत होगी और इसके लिए उद्योग जगत को हर चीज के लिए सरकार पर निर्भर रहने की अपनी पुरानी सोच को बदलना होगा।
श्री जितेन्द्र सिंह ने यह बात नई दिल्ली में एसोचैम की ओर से आयोजित तीसरे भारत क्वांटम प्रौद्योगिकी सम्मेलन में मुख्य भाषण के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सरकार, शिक्षा क्षेत्र और उद्योग जगत के बीच समान रिश्ता होना चाहिए, क्योंकि देश उभरती क्वांटम प्रौद्योगिकी सहित अनुसंधान और विकास क्षेत्र में और नई ऊंचाइयां छू रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के लिए वैश्विक परिदृश्य, वैश्विक कार्य नीतियों तथा वैश्विक मानकों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत को जोखिम प्रबंधन के लिए आगे आना होगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि पुरानी लचर नीतियों की तुलना में मोदी सरकार ने स्पष्ट नीति योजना बनाई। इसमें डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के मंत्र के साथ देश में ही निर्माण के माहौल पर बल दिया गया।
उन्होंने कहा कि क्वांटम प्रौद्योगिकी अपनाने वाला भारत 7वां देश है। लेकिन आज भारत विकसित देशों के समान खड़ा है और आगे भी बढ़ रहा है। (AIR NEWS)