प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया है कि आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान नहीं है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय चेतना से जुड़ा है। आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आत्मनिर्भर भारत का मंत्र देश के गांव गांव तक पहुंच रहा है।
आत्म निर्भरता के मतलब के बारे में कोलकाता के रंजन के पूछे प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्म निर्भरता की पहली शर्त अपने देश के लोगों की बनाई चीजों पर गर्व महसूस करना है। उन्होंने कहा कि जब सभी देशवासी स्वदेशी वस्तुओं पर गर्व महसूस करने लगते हैं तो आत्म निर्भर भारत अभियान राष्ट्रीय चेतना बन जाता है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर आकाश में भारत में बने तेजस लड़ाकू विमानों के करतब देखकर देशवासियों का मस्तक गर्व से ऊंचा हो गया था। इसी तरह मेड इन इंडिया टैंक, स्वदेश में निर्मित मिसाइलें, मेट्रो ट्रेनों के डिब्बे और कोराना महामारी इलाज के लिए स्वदेश में बने टीकों ने भी देश का स्वाभिमान बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ बड़ी चीजों से ही भारत आत्म निर्भर नहीं होगा, बल्कि हमें दैनिक जीवन में उपयोग के लिए कपड़ा, हस्तशिल्प वस्तुओं, इलेक्ट्रिोनिक सामान और मोबाइल फोन के क्षेत्र में भी आत्म निर्भर बनना होगा।
बिहार में बेतिया के प्रमोद का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने बताया कि वे दिल्ली में एल ई डी बल्ब बनाने वाले एक कारखाने में तकनीशियन थे, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उन्हें घर वापस लौटना पड़ा। प्रमोद ने अपने घर में एल ई डी बल्ब बनाने वाली छोटी-सी ईकाई लगाई और कुछ ही महीनों में फैक्ट्री मालिक बनकर कई नौजवानों को रोजगार देने लगे।
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर के संतोष का भी जिक्र करते हुए कहा कि कोरोना महामारी की वजह से जब सब कुछ ठप हो गया था, तो संतोष और उनके परिवार ने चटाई बनाने के अपने पुश्तैनी हुनर का इस्तेमाल करना शुरू किया। आज उन्हें न सिर्फ उत्तर प्रदेश से बल्कि अन्य राज्यों से भी चटाई बनाने का काम मिलने लगा है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत के किसानों ने चिया सीड्स की खेती करके इसके उत्पादन में आत्म निर्भर होने की चुनौती स्वीकार कर ली है। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के हरीशचन्द्र ने चिया सीड्स की खेती शुरू करके अपनी आमदनी बढ़ाई है।
श्री मोदी ने कहा कि सारे देश में कृषि अपशिष्ट से पैसा कमाने के लिए कई प्रयोग किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मदुरई के मुरूगेसन ने एक ऐसी मशीन बनाई जो केले के पेड़ से निकलने वाले रेशों से रस्सी बनाने में काम आती है। इस तरह वे न सिर्फ अपशिष्ट पदार्थों से पर्यावरण को बचा रहे हैं, बल्कि आमदनी में भी बढ़ोतरी कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने पानी के संरक्षण की आवश्यकता पर भी जोर देते हुए कहा कि जल संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। सर्दियों का मौसम बीतने और गर्मी के मौसम की दस्तक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अभी से जल संरक्षण के प्रयास शुरू कर देने चाहिए। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में अभी कुछ महीने बचे हैं इसलिए बरसात शुरू होने से पहले ही हमें अपने आसपास के जल स्रोतों की सफाई और वर्षा जल के संचय के लिए एक सौ दिन का अभियान शुरू कर देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय एक अभियान शुरू करने जा रहा है। अगर हम अभी से इस अभियान में जुट जायेंगे तो वर्षा जल का अधिक से अधिक संचय करने में सफल रहेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि मई-जून के महीने में देश के ज्यादातर इलाकों में वर्षा शुरू हो जाती है और जल शक्ति अभियान के तहत लोगों को मौजूदा वर्षा जल संचय प्रणालियों की सफाई और मरम्मत के लिए कमर कस लेनी चाहिए। हर गांव में तालाबों और पोखरों की सफाई भी की जानी चाहिए।
श्री मोदी ने सुजीत के पत्र का जिक्र किया जिसमें उन्होंने लिखा था कि पानी मनुष्य को प्रकृति से मिला एक सामूहिक उपहार है और इसे बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है। श्री मोदी ने उत्तर प्रदेश की आराध्या के पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि दुनिया में लाखों लोग अपने जीवन का काफी बड़ा हिस्सा पानी की कमी को दूर करने में बिताते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि एक समय गांव में रहने वाले लोग अपने कुंओं और तालाबों की सामूहिक रूप से देखभाल करते थे। इसी तरह के प्रयास आज तमिलनाडु में तिरूवन्नमलई में भी चल रहे हैं, जहां स्थानीय लोगों ने कुंओं के संरक्षण के लिए अभियान चलाकर, वर्षों से उपयोग में नहीं आ रहे अपने आसपास के कुंओं को फिर से पानी से लबालब कर दिया है।
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के अग्रोथा गांव की बबीता राजपूत का भी अपने भाषण में उल्लेख किया। उनके गांव में किसी जमाने में एक बड़ी झील हुआ करती थी जो सूख चुकी थी, लेकिन बबीता ने गांव की महिलाओं को एकजुट कर एक नहर निकाली। इस नहर से बारिश का पानी सीधे झील में जमा हो जाता है और झील पूरे साल पानी से लबालब रहती है।
श्री मोदी ने उत्तराखण्ड में बागेश्वर के जगदीश कुनियाल के काम की भी प्रशंसा की, जिन्होंने अपने आस पास के इलाके में वृक्षारोपण करके पानी के कई स्रोतों फिर से पानी से भर दिया है।
आज मनाये जा रहे राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन महान भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर सी वी रामन द्वारा रमन प्रभाव की खोज के सिलसिले में मनाया जाता है। श्री मोदी ने कहा कि देशवासियों को अपने वैज्ञानिकों के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करनी चाहिए। उन्होंने नौजवानों से आग्रह किया कि वे विज्ञान के इतिहास और भारतीय वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ने, जानने और समझने का प्रयास करें।
श्री मोदी ने कहा कि आत्म निर्भर भारत अभियान में विज्ञान का भी बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज राष्ट्र को प्रयोगशालाओं से खेतों तक के मंत्र के साथ विज्ञान को आगे बढ़ाना है। उन्होंने हैदराबाद के चिंताला वैंकट रेड्डी की मिसाल देते हुए बताया कि उन्होंने गेहूं और धान की ऐसी किस्मों का विकास किया जिनमें विटामिन-डी भी पाया जाता है। उन्हें इसी महीने जिनेवा के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन से पेटेंट भी मिल गया है। श्री वैंकेट रेड्डी को पिछले साल पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
लद्दाख के उरूगेन फुटसोग का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने बताया कि वे 20 फसलों की जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने गुजरात के पाटण जिले के कामराज चौधरी की प्रशंसा की, जिन्होंने अपने खेतों में ही सहजन के उन्नतशील बीज विकसित किए।
श्री मोदी ने गुरूग्राम के मयूर के पत्र का भी उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंन असम, खासतौर पर काजीरंगा के लोगों की वन्य जीव संरक्षण के लिए बड़ी तारीफ की है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य प्राधिकरण ने हाल में वन्य जीवों की वार्षिक गणना शुरू की है। इससे पता चला है कि इस साल उद्यान में जलचर पक्षियों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले करीब एक सौ 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उद्यान में पक्षी गणना के दौरान कुल एक सौ 12 प्रजातियों के पक्षी पाये गये। इनमें से 58 प्रजातियां ऐसे पक्षियों की हैं जो मध्य एशिया, पूर्व एशिया और यूरोप सहित दुनिया के विभिन्न भागों से प्रवास के लिए इस उद्यान में सर्दियों में आते हैं।
श्री मोदी ने असम के जादव पायंग का भी जिक्र किया, जिन्हें माजुली द्वीप में तीन सौ हेक्टेयर को हरा-भरा करने के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे लंबे समय से लगातार वन सरंक्षण में लगे हैं और जीव जन्तुओं तथा वनस्पतियों सहित संपूर्ण जैव विविधता को बचाने का कार्य कर रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि असम के मन्दिर भी प्रकृति के संरक्षण में अनोखा योगदान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के प्रत्येक मन्दिर के आसपास तालाब भी होता है। हाजो में हयग्रीव माधव मन्दिर, शोणितपुर में नागशंकर मन्दिर और गुवाहाटी में उग्रतारा मन्दिर के आसपास ऐसे कई तालाब हैं। इन तालाबों का उपयोग लुप्तप्राय कछुओं की प्रजातियों के संरक्षण के लिए किया जा रहा है। असम में कछुओं की सबसे अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के ये मन्दिर जीव-जंतुओं के संरक्षण, प्रजनन और वन्य जीव संरक्षण का प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में स्कूल, कॉलेजों की परीक्षाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हर साल की तरह इस वर्ष भी मार्च में वे परीक्षा पे चर्चा करेंगे। उन्होंने सभी परीक्षा योद्धाओं, माता-पिता और शिक्षकों से आग्रह किया कि वे अपने अनुभव और टिप्स माईगॉव प्लेटफॉर्म और नरेन्द्र मोदी ऐप पर साझा करें। इस बार नौजवानों के साथ साथ माता-पिता और शिक्षकों को भी परीक्षा पे चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है। अब तक एक लाख से अधिक विद्यार्थियों, करीब चालीस हजार माता-पिता और दस हजार से अधिक शिक्षकों ने इसमें हिस्सा लिया है।
श्री मोदी ने लोगों से कोरोना महामारी से सतर्कता बरतने में कोई ढिलाई नहीं बरतने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एहतियात में ढिलाई देने का वक्त अभी नहीं आया है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि ओडिशा के सिलू नायक भारतीय सेना में नौकरी के इच्छुक नौजवानों को प्रशिक्षण देते हैं। उनकी संस्था का नाम महागुरू बटालियन है। इस प्रशिक्षण में वे शारीरिक दक्षता के सभी पहलुओं के साथ साथ साक्षात्कार और लेखन कौशल भी सिखाते हैं।
हैदराबाद की अर्पणा रेड्डी के प्रश्न का बड़ी आत्मीयता से उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात का बड़ा अफसोस है कि वे दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा-तमिल नहीं सीख सके। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के एक गाइड द्वारा भेजे गए क्लिप को साझा करते हुए श्री मोदी ने बताया कि वे संस्कृत में सरदार पटेल के बारे में लोगों को जानकारी देते हैं। उन्होंने संस्कृत में क्रिकेट कमेंट्री का एक क्लिप भी साझा किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि विभिन्न खेलों की कमेंट्री अलग अलग भाषाओं में की जानी चाहिए। उन्होंने इस बारे में खेल मंत्रालय और इससे जुड़ी संस्थाओं से विभिन्न भाषाओं में खेलकूद कमेंट्री प्रसारित करने के बारे में विचार करने को भी कहा।
माघ के महीने का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह महीना आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व का महीना है। उन्होंने कहा कि कल माघ पूर्णिमा के दिन संत श्री रविदास जी की जयंती मनाई गई। उन्होंने कहा कि संत रविदास ने सामाजिक बुराइयों के बारे में खुलकर अपने विचार व्यक्त किये और लोगों को सही रास्ता दिखाया। श्री मोदी ने कहा कि आज भी संत रविदास जी के विचार और उनका ज्ञान हमारा पथप्रदर्शन करते हैं। श्री मोदी ने कहा कि देश के युवाओं को संत रविदास से सीख लेकर उनके बताये रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि युवा जो कुछ करना चाहते हैं वे इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उन पर परम्परागत सोच का दबाव रहता है। उन्होंने कहा कि आज देश के युवा किसी के मोहताज नहीं रहना चाहते। उन्होंने कहा कि उन्हें युवाओं में नवाचार की प्रवृति को देखकर बड़ा गर्व महसूस होता है। (AIR)