मुजफ्फरपुर में ‘चमकी बुखार’ का जो कहर शुरू हुआ है वह रूकने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार इससे जुड़े मामले सामने आ रहे हैं और मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इसी के चलते आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। चमकी बुखार के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सरकारों से तीन मुद्दे पर हलफनामा दायर करने को कहा है जिसमें हेल्थ सर्विस, न्यूट्रिशन और हाइजिन का मामला है। अदालत की तरफ से कहा गया है कि ये मूल अधिकार हैं, जिन्हें मिलना ही चाहिए।
अदालत ने सरकारों से पूछा है कि क्या इनको लेकर कोई योजना लागू की गई है, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसी ही स्थिति थी, वहां पर सुधार कैसे आया। अदालत ने इतना कहते ही दोनों सरकारों को दस दिन का समय दिया है।
बारिश होने से दिमागी बुखार से बच्चों को मिली राहत
आपको बता दें, बारिश के मौसम में दिमागी बुखार का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया। वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रभावित जिले में ड्यूटी के लिए नहीं आने वाले पीएमसीएच के एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की है। श्री कृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने कहा, ‘एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम बच्चों को उस उस समय अपनी चपेट में लेता है, जब भीषण गर्मी पड़ रही होती है और इलाके में बारिश होने पर इस रोग का प्रसार रूकता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है और आज अब तक एक भी बच्चा एडमिड नहीं कराया गया। वहीं, चमकी बुखार से पीड़ितों च्चों को स्वस्थ होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है।
मध्यप्रदेश में दिमागी बुखार से एक बच्चे की मौत
वहीं एईएस के कारण मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारी भी अलर्ट हो गए हैं। रविवार को आठ साल के एक बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के पिता को गांव में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने बताया बच्चा दिमागी बुखार से पीड़ित था। और निजि अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि वह एईएस से पीड़ित हो सकता है। तभी उसने एमवाई अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराया जहां रविवार को उसकी मौत हो गई।
हालांकि एमवाई अस्पताल के डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि बच्चा एईएस से पाड़ित था या नहीं। वह उसकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चा वायरल बुखार से पीड़ित था लेकिन कुपोषित नहीं था जो एईएस का मुख्य कारण है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि बच्चे के खून के नूमनों को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वीरोलॉजी भेजा गया है ताकि पता चल सके कि वह एईएस से पीड़ित था या नहीं। बच्चे के गांव में स्वास्थ्य विभाग की एक टीम भेजी गई है।
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(SPASHTAWAZ)