पूर्व दिवंगत सांसद का भगीना बताते हैं संवेदक…? बालू के बजाय मिट्टी से कोरम पूरा…! बेखौफ संवेदक के कर्ता-धर्ता मिट्टी को बालू बता झाडते हैं शेखी…? ग्रामीण कार्य विभाग बहरा और गूंगा बन सरकारी योजना की राशि में बंदरबांट को दिया छूट…? – स्वतंत्र प्रभात (बगहा-ब्यूरो) बगहा, (नसीम खान “क्या”)। ग्राम पंचायतराज परसा-बनचहरी में मुख्यमंत्री ग्राम सडक सम्पर्क योजना के तहत् छोटकीपट्टी-भैरोगंज पथ से जुडे देउरा (धर्मपुर) तक बनाई जा रही ग्राम सडक।
जिसकी प्राक्कलित लम्बाई 2,200 कि०मी० उल्लेखित है, में विभाग की मिलीभगत से व्यापक लूट मचाये जाने की खबर है। मनमानेपन से तैयार जीएसपी मैटेरियल दिखाता ग्रामीण, लूट का संकेत
कार्यों के निष्पादन का ठेका सदैव से हीं चाहे जो भी सरकार रही हो उसके विधायक और एमपी के चहेतों को मिलना कोई हैरतअंगेज मामला नहीं। यहीं कारण भी मुख्य है कि जनहित के कार्यों में मनमानेपन के चलते बहुधा खामियाँ बनी हीं रह जाती है। जिसपर शासन तंत्र का लबादा ओढे सफेदपोशों पर सटीक कार्रवाई बहुधा कम हीं हो पाती है ?
लोकतंत्र में जनता को मालिक बतानेवाली जुमला हीं जब बेमानी परम्परा है, तो भला जनता के बरबस इन खामियों पर खींसे निपोडना भला कितना असरदार होगा यह बताने की जरूरत शायद नहीं! प्राक्कलन का माखौल उडा, संवेदक ने जीएसपी में अस्सी से नब्बे फीसदी मिट्टी का किया उपयोग – छाया : स्वतंत्र प्रभात तभी तो मुख्यमंत्री ग्राम सडक सम्पर्क योजना से जुडे बगहा – 1 प्रखण्ड के पंचायतराज परसा-बनचहरी में बनाये जा रहे, देउरा (धर्मपुर) ग्रामीण सडक को कामधेनु समझ ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा संवेदक को दिये मौन स्वीकृति से व्यापक धांधली मचाये जाने की खबर है।
आश्चर्य की बात तो यह कि सरकारी धन एक करोड तिरसठ लाख तेईस हजार और छह सौ अस्सी रूपयों की लागत से निर्माण हो रहे इस ग्रामीण सडक में जहां ग्रामीण कार्य विभाग के स्थानीय अभियंताओं के दोनों हाथ घी के कनस्तर में डूबा, तो अपने को दिवंगत सांसद का भगीना बतानेवाले सडक संवेदक का सिर लूट की कडाही में डूबा प्रतीत हो रहा है।
सडक के घटिया निर्माण से आहत ग्रामीणों द्वारा मौके से भेजे गये विडियो क्लीप से एक बात तो साफ है कि, विभाग चाहे जो भी बचाव की दलील दे, परन्तु सडक के प्रारम्भिक स्तर के निर्माण सामग्री में ही व्यापक गोल-माल कर संवेदक द्वारा लाखों का वारा-न्यारा कर लेने का जुगाड फिट कर लिया गया है।
राम जानें यदि यहीं हाल रहा तो सडक निर्माण का क्या हश्र होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार आनन-फानन में किये जा रहे सडक निर्माण में संवेदक द्वारा कृत्रिम तौर पर जीएसपी का स्थानीय निर्माण कराया जा रहा है। वह भी बगैर ग्रामीण कार्य विभाग की मौजूदगी में।
ग्रामीणों का कहना है कि संवेदक द्वारा तैयार कराये जा रहे जीएसपी में बालू के बजाय अस्सी से नब्बे फीसदी मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है जिसमें गिट्टी की मात्रा दस से बीस फीसदी तक हीं है। जबकि, जानकारों की मानें तो जीएसपी में पत्थर/गिट्टी की मात्रा साठ फीसदी और बालू/मिस्कट की मात्रा चालिस फीसदी होनी चाहिए। लिहाजा, संवेदक द्वारा विभागीय मिलीभगत से अकेले जीएसपी कार्य में हीं लाखों की धनराशि को डकारने का जुगाड फिट कर लिया गया है।
ग्रामीण कार्य विभाग की अनदेखी अथवा मिलीभगत से मानक के विपरीत हो रहे इस सडक निर्माण में व्याप्त धांधली के खिलाफ स्थानीय जनता द्वारा एक जन आवेदन भी स्तरीय जाँच के आशय से विभाग के कार्यपालक अभियंता समेत अनुमंडल पदाधिकारी बगहा व जिलापदाधिकारी पश्चिम चम्पारण को भेजने की बात की जा रही है।
बहरहाल, स्वतंत्र प्रभात इस आशय पर लगातार ग्रामीण कार्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों से सम्पर्क स्थापित करने की कोशिश में है ताकि ग्रामीणों के बीच उपज रहे मतभेद का पटाक्षेप ससमय किया जा सके।
The post मुख्यमंत्री ग्राम सडक योजना में संवेदक की मनमानी, जीएसपी में व्यापक घोटाला appeared first on दैनिक स्वतंत्र प्रभात हिंदी अख़बार. (SWATANTRA PRABHAT MEDIA)