कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन ने देश के नए सेना प्रमुख के रूप में विवादों में घिरे शावेंद्र सिल्वा के नाम पर मुहर लगा दी है। 55 साल के शावेंद्र मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में आरोपित हैं। वह मौजूदा सेना प्रमुख महेश सेनानायके की जगह लेंगे।
श्रीलंका में तमिल लड़ाकों से चली लड़ाई के अंतिम दौर में कमांडर सिल्वा ने 2009 में सेना की 58वीं डिवीजन का नेतृत्व किया था। सेना की इस टुकड़ी पर आम नागरिकों और अस्पतालों पर हमले करने के आरोप हैं। सेना की कार्रवाई से युद्ध प्रभावित लोगों तक भेजी जाने वाली मानवीय सहायता नहीं पहुंच पाई थी।
युद्ध अपराध को लेकर श्रीलंका की सेना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHCR) में पारित प्रस्ताव में भी शावेंद्र के नाम का जिक्र है। सिल्वा के नाम का उल्लेख संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) द्वारा 2013 में पारित प्रस्ताव में था जिसमें श्रीलंकाई सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।
श्रीलंकाई सेना ने कथित मानवाधिकार उल्लंघनों से इनकार किया था। आलोचकों का कहना है कि सिल्वा की सैन्य प्रमुख के तौर पर नियुक्ति संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियानों में श्रीलंका के सहयोग तथा अमेरिका और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग में तनाव ला सकती है।
यहां स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि अमेरिका सिल्वा की नियुक्ति पर गहरी चिंता जाहिर करता है। दूतावास ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य संगठनों द्वारा उनके खिलाफ मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के प्रमाणित हुए आरोप गंभीर एवं विश्वसनीय हैं।
यह नियुक्ति श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय साख और न्याय एवं जवाबदेही को प्रोत्साहित करने की उसकी प्रतिबद्धता को कमतर बताती है खास कर ऐसे समय में जब पुन: मैत्री और सामाजिक एकता की जरूरत सर्वाधिक है।”
नृशंस गृह युद्ध खत्म होने के बाद सिल्वा ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मिशन के स्थायी उपप्रतिनिधि के तौर पर सेवा दी थी। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों ने श्रीलंकाई सरकार से युद्ध अपराध अधिकरण स्थापित करने की अपील की है जो मानवता के खिलाफ सेना एवं तमिल आतंकवादी समूहों दोनों की ओर से किए गए अपराध के आरोपों की जांच करे।
बाद की श्रीलंकाई सरकारों ने अंतरराष्ट्रीय जांच करने के प्रयासों का यह कह कर विरोध किया है कि यह द्वीप देश का आंतरिक मामला है। (NEWSVIEW MEDIA NETWORK)