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Chaitra Navratri

सऊदी में ड्रोन हमलों के बाद भारत को तेल आपूर्ति में स्थिरता की चिंता

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नई दिल्ली: सऊदी अरब में दुनिया के सबसे बड़े तेल संयंत्र पर ड्रोन हमलों के बाद दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश भारत तेल आपूर्ति के लिए चिंतित है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इससे पहले कहा था कि भारत सऊदी अरब में तेल संकट पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।

प्रधान ने गुरुवार को सऊदी के तेल मंत्री प्रिंस अब्दुलजीज बिन सलमान से बात की। प्रधान को आश्वासन दिया गया कि रियाद भारत के तेल आपूर्ति की सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा। सऊदी ने घोषणा की है कि वह बहुत जल्द उत्पादन बहाल करने की कोशिश कर रहा है।

सऊदी अरब के खुराई ऑयलफील्ड और अबकैक पेट्रोलियम संयंत्र पर 14 सितंबर को हुए हमलों के बाद प्रधान ने अब्दुलजीज से आपूर्ति की योजना पर चर्चा की। ये दोनों इकाइयां सऊदी की सरकारी तेल कंपनी अरामको के अधिग्रहण में हैं।

हमलों के बाद लगभग 50 लाख बैरल तेल प्रतिदिन का नुकसान हुआ है।

भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता सऊदी अरब प्रति महीने लगभग 20 लाख टन क्रूड बेचता है। सितंबर के लिए इसमें से 12-13 लाख टन क्रूड की आपूर्ति पहले ही की जा चुकी है और शेष का आश्वासन दिया गया है।

भारत सऊदी अरब से प्रति महीने लगभग दो लाख टन एलपीजी खरीदता है।

क्रूड ऑयल की कीमत 19-20 प्रतिशत बढ़कर 71 डॉलर प्रति बैरल हो गई है, जो पिछले तीन दशकों में सर्वाधिक है।

सऊदी अरब ने 2018-19 वित्तीय वर्ष में भारत को 4.033 करोड़ टन क्रूड ऑयल बेचा है, वहीं भारत ने 20.73 लाख टन तेल की आपूर्ति की है।

वैश्विक तेल की कीमतों में अचानक आई तेजी से भारत में तेल आयात बिल और व्यापार घाटा प्रभावित होगा। तेल की कीमत में प्रति डॉलर की मूल्य वृद्धि से आयात बिल बढ़ेगा। भारत ने 2018-19 में तेल आयात पर 111.9 अरब डॉलर खर्च किया।

भारत की तीन सरकारी तेल विपणन कंपनियां- इंडियन ओयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने जून 2018 में तेल की अस्थित कीमतों की योजना लागू कर भारत में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसा तंत्र लागू कर दिया, जहां तेल की कीमतें प्रतिदिन वैश्विक तेल की कीमतों के कम-ज्यादा होने पर कम-ज्यादा होती हैं।

तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस (पीपीएसी) के आंकड़े के अनुसार, साल 2017 के बाद से भारत की तेल पर निर्भरता धीरे-धीरे बढ़ती गई है। सत्र 2018-19 में भारत की तेल खपत बढ़कर 21.12 लाख टन हो गई।

(RTI NEWS)

1673 Days ago